उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावतPC: file photo
उत्तराखंड में सियासी संकट के बीच प्रदेश के लिए राहत की खबर यह है कि प्रदेश के नए पंचायत विधेयक और अन्य विधेयकों की राह में कोई कांटा नहीं है।
सदन में पारित इन विधेयकों को पारित माना गया है। अब इन विधेयकों को लेकर कसरत भी शुरू कर दी गई है। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के मुताबिक चार माह के लिए मंजूर अनुदान मांगों पर राजभवन ने प्राथमिकताएं तय कर दी हैं। इस बजट को पेयजल, सूखा सहित बुनियादी चीजों पर खर्च किया जाएगा।
18 मार्च को सदन में वित्त विनियोग विधेयक पर हंगामा हुआ था। इससे पहले विभागों के बजट पारित हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक वित्त विनियोग विधेयक को राजभवन ने माना की यह पारित नहीं हुआ है। ऐसे में विभागों के बजट भी अधर में लटक गए।
इस स्थिति में प्रदेश में आर्थिक संकट भी उठ खड़ा हुआ था। ऐसे में राजभवन ने चार माह की अनुदान मांगों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। ये अनुदान मांगें भी राष्ट्रपति की ओर से स्वीकार कर ली गईं। शनिवार को मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि राजभवन ने इन अनुदान मांगों को खर्च करने की प्राथमिकताएं तय कर दी हैं। इस बजट को पेयजल, सूखा सहित अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च किया जाएगा।
प्रदेश के लिए राहत की बात यह है कि सदन में पारित विधेयकों पर कोई अड़चन नहीं है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। सदन नौ मार्च को आहूत हुआ था। इसके बाद सदन के पटल पर नए पंचायत एक्ट सहित अन्य विधेयक रखे गए थे।
17 मार्च को ही विभागीय बजट से पहले सदन के पटल पर पंचायती राज विधेयक, उत्तराखंड आवासीय विश्वविद्यालय विधेयक, उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग संशोधन विधेयक, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग संशोधन विधेयक आदि सदन से पारित किए गए थे। राजभवन ने इन सभी विधेयकों को पारित माना है। बताया जा रहा है कि इन विधेयकों को लेकर अब कसरत भी शुरू कर दी गई है।
चकबंदी विधेयक पर संशय की स्थिति
दूसरी ओर, एक महत्वपूर्ण विधेयक चकबंदी का है, जिसको लेकर अभी संशय की स्थिति है। 18 मार्च को वित्त विनियोग विधेयक के बाद चकबंदी विधेयक को सदन के पटल पर रखा जाना था। वित्त विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग पर हंगामा खड़ा हो गया था। उस समय हरक सिंह को वित्त विनियोग विधेयक को सदन के पटल पर रखना था।
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष का उस समय साफ कहना था कि वित्त विनियोग विधेयक सहित अन्य विधेयक पारित कर दिए गए थे। बहरहाल, पंचायत एक्ट पर तस्वीर साफ होने से प्रदेश को राहत मिलेगी। इस एक्ट में पंचायतों को 29 विषयों में अधिकार देने के साथ ही पंचायतों को अपने स्तर से राजस्व अर्जन का अधिकार भी दिया गया है।
सदन में पारित इन विधेयकों को पारित माना गया है। अब इन विधेयकों को लेकर कसरत भी शुरू कर दी गई है। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के मुताबिक चार माह के लिए मंजूर अनुदान मांगों पर राजभवन ने प्राथमिकताएं तय कर दी हैं। इस बजट को पेयजल, सूखा सहित बुनियादी चीजों पर खर्च किया जाएगा।
18 मार्च को सदन में वित्त विनियोग विधेयक पर हंगामा हुआ था। इससे पहले विभागों के बजट पारित हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक वित्त विनियोग विधेयक को राजभवन ने माना की यह पारित नहीं हुआ है। ऐसे में विभागों के बजट भी अधर में लटक गए।
इस स्थिति में प्रदेश में आर्थिक संकट भी उठ खड़ा हुआ था। ऐसे में राजभवन ने चार माह की अनुदान मांगों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। ये अनुदान मांगें भी राष्ट्रपति की ओर से स्वीकार कर ली गईं। शनिवार को मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि राजभवन ने इन अनुदान मांगों को खर्च करने की प्राथमिकताएं तय कर दी हैं। इस बजट को पेयजल, सूखा सहित अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च किया जाएगा।
प्रदेश के लिए राहत की बात यह है कि सदन में पारित विधेयकों पर कोई अड़चन नहीं है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। सदन नौ मार्च को आहूत हुआ था। इसके बाद सदन के पटल पर नए पंचायत एक्ट सहित अन्य विधेयक रखे गए थे।
17 मार्च को ही विभागीय बजट से पहले सदन के पटल पर पंचायती राज विधेयक, उत्तराखंड आवासीय विश्वविद्यालय विधेयक, उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग संशोधन विधेयक, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग संशोधन विधेयक आदि सदन से पारित किए गए थे। राजभवन ने इन सभी विधेयकों को पारित माना है। बताया जा रहा है कि इन विधेयकों को लेकर अब कसरत भी शुरू कर दी गई है।
चकबंदी विधेयक पर संशय की स्थिति
दूसरी ओर, एक महत्वपूर्ण विधेयक चकबंदी का है, जिसको लेकर अभी संशय की स्थिति है। 18 मार्च को वित्त विनियोग विधेयक के बाद चकबंदी विधेयक को सदन के पटल पर रखा जाना था। वित्त विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग पर हंगामा खड़ा हो गया था। उस समय हरक सिंह को वित्त विनियोग विधेयक को सदन के पटल पर रखना था।
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष का उस समय साफ कहना था कि वित्त विनियोग विधेयक सहित अन्य विधेयक पारित कर दिए गए थे। बहरहाल, पंचायत एक्ट पर तस्वीर साफ होने से प्रदेश को राहत मिलेगी। इस एक्ट में पंचायतों को 29 विषयों में अधिकार देने के साथ ही पंचायतों को अपने स्तर से राजस्व अर्जन का अधिकार भी दिया गया है।
No comments:
Post a Comment