आम आदमी पार्टी
उत्तराखंड में मजबूत थर्ड फ्रंट के लिए उत्तराखंड रक्षा मोर्चा महागठबंधन की जमीन तैयार कर रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) में विलय हुए मोर्चा के वरिष्ठ सदस्यों ने फिर से सक्रियता बढ़ा दी है।
मोर्चा ने आप से अलग होने का भी मन बना दिया है। मोर्चा प्रदेश के 10 प्रतिशत फौजी वोट बैंक के साथ रिटायर्ड नौकरशाहों के जरिये चुनावी वैतरणी पार करने की रणनीति पर चल रहा है।
प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा का विकल्प देने के लिए नवंबर 2011 में रक्षा मोर्चा का राजनीतिक पार्टी के रूप में चुनाव आयोग में पंजीकरण हुआ। कांग्रेस सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाद में भाजपा में शामिल हुए लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में मोर्चा ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई।
पहले ही चुनाव में मोर्चा का मत प्रतिशत भी ठीक ठाक रहा। टीपीएस ने समर्थकों के साथ कांग्रेस में घर वापसी की और मोर्चा का ‘आप’ में विलय हो गया। ‘आप’ के उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने पर स्थिति स्पष्ट नहीं किए जाने और मौजूदा सियासी समीकरणों को देखते हुए मोर्चा फिर से सक्रिय हुआ है।
मोर्चा ने आप से अलग होने का भी मन बना दिया है। मोर्चा प्रदेश के 10 प्रतिशत फौजी वोट बैंक के साथ रिटायर्ड नौकरशाहों के जरिये चुनावी वैतरणी पार करने की रणनीति पर चल रहा है।
प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा का विकल्प देने के लिए नवंबर 2011 में रक्षा मोर्चा का राजनीतिक पार्टी के रूप में चुनाव आयोग में पंजीकरण हुआ। कांग्रेस सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाद में भाजपा में शामिल हुए लेफ्टिनेंट जनरल टीपीएस रावत (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में मोर्चा ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई।
पहले ही चुनाव में मोर्चा का मत प्रतिशत भी ठीक ठाक रहा। टीपीएस ने समर्थकों के साथ कांग्रेस में घर वापसी की और मोर्चा का ‘आप’ में विलय हो गया। ‘आप’ के उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने पर स्थिति स्पष्ट नहीं किए जाने और मौजूदा सियासी समीकरणों को देखते हुए मोर्चा फिर से सक्रिय हुआ है।
पूर्व में भी ज्यादा से ज्यादा पूर्व सैनिकों और अर्द्ध सैनिकों को जोड़कर सैनिक बाहुल्य वाले इस राज्य में सियासी फायदा लेने की मोर्चा की रणनीति थी। इस बार भी मोर्चा पूर्व सैनिक, अर्द्ध सैनिकों के साथ ही अफसरशाही का अनुभव रखने वाले दिग्गजों और छोटे क्षेत्रीय दलों को जोड़कर चुनावी मोर्चा फतह करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है।
मोर्चा ने पीसी तिवारी की परिवर्तन पार्टी, टुकड़ों में बंटे यूकेडी के विभिन्न धड़ों, यूकेडी से अलग हुए एपी जुयाल की देवभूमि जन विकास पार्टी, मलेथा आंदोलनकारी समीर रतूड़ी, प्रजामंडलम पार्टी समेत विभिन्न छोटे-छोटे दलों, संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मोर्चा में शामिल होने की अपील की है।
मोर्चा के संस्थापक मंडल की बैठक में सीआरपीएफ से रिटायर्ड डीआईजी बलराम सिंह नेगी को मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। मोर्चा के संस्थापक मंडल में उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रहे मेजर जनरल शैलेंद्र राज बहुगुणा (सेनि), पूर्व वरिष्ठ आईएएस एसएस पांगती और पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक संयुक्त संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल शामिल हैं।
प्रदेश की जनता भाजपा, कांग्रेस की विकास विरोधी नीतियों के खिलाफ राजनीतिक विकल्प चाहती है। अरविंद केजरीवाल की तानाशाही के चलते आप में रहते कुछ सकारात्मक करना संभव नहीं। इसलिए मोर्चा ने महा गठबंधन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस के कुछ असंतुष्टों से भी उनकी वार्ता चल रही है।
- पीसी थपलियाल, संस्थापक सदस्य रक्षा मोर्चा
मोर्चा ने पीसी तिवारी की परिवर्तन पार्टी, टुकड़ों में बंटे यूकेडी के विभिन्न धड़ों, यूकेडी से अलग हुए एपी जुयाल की देवभूमि जन विकास पार्टी, मलेथा आंदोलनकारी समीर रतूड़ी, प्रजामंडलम पार्टी समेत विभिन्न छोटे-छोटे दलों, संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मोर्चा में शामिल होने की अपील की है।
मोर्चा के संस्थापक मंडल की बैठक में सीआरपीएफ से रिटायर्ड डीआईजी बलराम सिंह नेगी को मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। मोर्चा के संस्थापक मंडल में उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रहे मेजर जनरल शैलेंद्र राज बहुगुणा (सेनि), पूर्व वरिष्ठ आईएएस एसएस पांगती और पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक संयुक्त संगठन के महासचिव पीसी थपलियाल शामिल हैं।
प्रदेश की जनता भाजपा, कांग्रेस की विकास विरोधी नीतियों के खिलाफ राजनीतिक विकल्प चाहती है। अरविंद केजरीवाल की तानाशाही के चलते आप में रहते कुछ सकारात्मक करना संभव नहीं। इसलिए मोर्चा ने महा गठबंधन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस के कुछ असंतुष्टों से भी उनकी वार्ता चल रही है।
- पीसी थपलियाल, संस्थापक सदस्य रक्षा मोर्चा
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