
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते कहा है कि सामाजिक न्याय से ही सशक्त देश का निर्माण हो सकता है। हाल में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा का उन्होंने स्पष्ट जिक्र किए बिना कहा कि 'सामाजिक बुराइयों से लड़ना होगा... ऐसा होता है, चलता है, से नहीं चलेगा।'
भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों पर चरमपंथियों के हमले की याद दिलाई और सवाल उठाया- 'वो कैसे लोग, कैसी सरकारें हैं जो निर्दोष लोगों के मरने पर आतंकवादियों को ग्लोरिफाई करते हैं।' अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों पर चरमपंथियों के हमले की याद दिलाई और सवाल उठाया- 'वो कैसे लोग, कैसी सरकारें हैं जो निर्दोष लोगों के मरने पर आतंकवादियों को ग्लोरिफाई करते हैं।'
सुरक्षा बलों के खिलाफ भारत के अंदर हिंसक गतिविधियों पर मोदी ने कहा- "मैं भटके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि हिंसा का रास्ता छोडकर लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें। हिंसा से कुछ नहीं मिलेगा।"
अपने भाषण में उन्होंने जो प्रमुख बातें कहीं वो इस प्रकार हैं।
1. लंबे संघर्ष के बाद मिले स्वराज को सुराज में बदलना भारत के सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्य है। देश की मौजूदा सरकार आक्षेपों से नहीं अपेक्षाओं से घिरी है।
2. गुड गवर्नेंस के लिए जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की जरूरत होती है। मुझे देश की स्थिति बदलनी है और बदल कर रहूंगा।
3. देश में दो साल तक अकाल रहा। सब्जियों के दाम पर इसका असर होता है। उसके कारण कुछ दिक्कतें जरूर आईं। दाल का उत्पादन कम हुआ। लेकिन पहले के मुकाबले महंगाई की रफ्तार को रोकने में हमारी सरकार ने कामयाबी पाई है। मेरा संकल्प है कि मैं गरीब की थाली महंगी नहीं होने दूंगा। 2022 तक किसान की आमदनी को दोगुना करना मेरा सपना है।
सुरक्षा बलों के खिलाफ भारत के अंदर हिंसक गतिविधियों पर मोदी ने कहा- "मैं भटके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि हिंसा का रास्ता छोडकर लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें। हिंसा से कुछ नहीं मिलेगा।"
अपने भाषण में उन्होंने जो प्रमुख बातें कहीं वो इस प्रकार हैं।
1. लंबे संघर्ष के बाद मिले स्वराज को सुराज में बदलना भारत के सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्य है। देश की मौजूदा सरकार आक्षेपों से नहीं अपेक्षाओं से घिरी है।
2. गुड गवर्नेंस के लिए जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की जरूरत होती है। मुझे देश की स्थिति बदलनी है और बदल कर रहूंगा।
3. देश में दो साल तक अकाल रहा। सब्जियों के दाम पर इसका असर होता है। उसके कारण कुछ दिक्कतें जरूर आईं। दाल का उत्पादन कम हुआ। लेकिन पहले के मुकाबले महंगाई की रफ्तार को रोकने में हमारी सरकार ने कामयाबी पाई है। मेरा संकल्प है कि मैं गरीब की थाली महंगी नहीं होने दूंगा। 2022 तक किसान की आमदनी को दोगुना करना मेरा सपना है।
4. हमें सरकार की पहचान बनाने से ज्यादा हिंदुस्तान की पहचान बनाने की फिक्र है। नई योजनाएं घोषित करने से सरकारी पहचान बन जाती है। लेकिन पुरानी योजनाओं को छोड़ना नहीं चाहिए। सरकार का काम निरंतर चलता रहता है। हमने सर झुकाकर पुरानी सरकारों की योजनाओं को आगे बढ़ाया है।
5. नीति साफ हो नीयत स्पष्ट हो तब निर्णय करने का जज्बा भी कुछ और होता है। हमारी सरकार ने इनकी बदौलत आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को लाभ पहुंचाया है।
6. पिछले साल हमने लगातार घाटे में चल रही एअर इंडिया को ऑपरेशनल मुनाफे वाली एयरलाइन बनाने में कामयाबी हासिल की और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ भी हुआ।
7. आज की दुनिया ग्लोबल इकोनॉमी वाली दुनिया है। हमें वैश्विक मानकों पर खरा उतारना पड़ेगा। तभी हम वक्त आने पर विश्व की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर पाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने अनुमान लगाया है कि दो साल के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था दसवें नंबर से तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी।
8. आज समाज में तनाव है। एक समय रामानुजाचार्य कहते थे उम्र और जाति के कारण अनादर न करो। महात्मा गांधी, अम्बेडकर, सभी ने सामाजिक एकता की बात कही। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ना होगा- होता है, चलता है, कहने से नहीं चलेगा। समाज में जो बुराइयां हैं, जो समस्याएं हैं उन्हें दूर करने के लिए हमें लड़ना होगा, ठोस कदम उठाने होंगे। सिर्फ आर्थिक प्रगति हिंदुस्तान की प्रगति की गारंटी नहीं है। सामाजिक न्याय से ही सशक्त देश का निर्माण होता है।
9. आजादी के बाद 35 हजार से ज्यादा जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी है। हम आज आजादी का जश्न उन्हीं के त्याग और बलिदान की बदौलत मना रहे हैं। देश को आगे बढ़ाने के लिए हिंसा को मिटाना जरूरी है। ये देश हिंसा को कभी सहन नहीं करेगा, आतंकवाद को कभी सहन नहीं करेगा, माओवाद के सामने नहीं झुकेगा।
10. मैं भटके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि हिंसा का रास्ता छोड़कर लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें।
11. गरीबी से मिलकर लड़ने की जरूरत है। सभी पड़ोसियों को मिलकर गरीबी से लड़ना होगा। मैं उनके सहयोग का आह्वान करता हूं। जब पेशावर में आतंकवादियों ने निर्दोष बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था। निर्दोष बालकों का रक्त बहाया गया था। हिंदुस्तान की संसद की आंखों में आंसू थे। भारत का हर बच्चा आंसू में डूबा था। यही है हमारी मानवता से पली-बढ़ी संस्कृति। लेकिन कुछ लोग आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
12. पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों ने मेरा आभार जताया है। दूरदराज बैठे लोग हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री का आदर करते हैं तो ये मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। मैं उन लोगों का आभार जताना चाहता हूं।
5. नीति साफ हो नीयत स्पष्ट हो तब निर्णय करने का जज्बा भी कुछ और होता है। हमारी सरकार ने इनकी बदौलत आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को लाभ पहुंचाया है।
6. पिछले साल हमने लगातार घाटे में चल रही एअर इंडिया को ऑपरेशनल मुनाफे वाली एयरलाइन बनाने में कामयाबी हासिल की और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ भी हुआ।
7. आज की दुनिया ग्लोबल इकोनॉमी वाली दुनिया है। हमें वैश्विक मानकों पर खरा उतारना पड़ेगा। तभी हम वक्त आने पर विश्व की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर पाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने अनुमान लगाया है कि दो साल के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था दसवें नंबर से तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी।
8. आज समाज में तनाव है। एक समय रामानुजाचार्य कहते थे उम्र और जाति के कारण अनादर न करो। महात्मा गांधी, अम्बेडकर, सभी ने सामाजिक एकता की बात कही। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ना होगा- होता है, चलता है, कहने से नहीं चलेगा। समाज में जो बुराइयां हैं, जो समस्याएं हैं उन्हें दूर करने के लिए हमें लड़ना होगा, ठोस कदम उठाने होंगे। सिर्फ आर्थिक प्रगति हिंदुस्तान की प्रगति की गारंटी नहीं है। सामाजिक न्याय से ही सशक्त देश का निर्माण होता है।
9. आजादी के बाद 35 हजार से ज्यादा जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी है। हम आज आजादी का जश्न उन्हीं के त्याग और बलिदान की बदौलत मना रहे हैं। देश को आगे बढ़ाने के लिए हिंसा को मिटाना जरूरी है। ये देश हिंसा को कभी सहन नहीं करेगा, आतंकवाद को कभी सहन नहीं करेगा, माओवाद के सामने नहीं झुकेगा।
10. मैं भटके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि हिंसा का रास्ता छोड़कर लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें।
11. गरीबी से मिलकर लड़ने की जरूरत है। सभी पड़ोसियों को मिलकर गरीबी से लड़ना होगा। मैं उनके सहयोग का आह्वान करता हूं। जब पेशावर में आतंकवादियों ने निर्दोष बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था। निर्दोष बालकों का रक्त बहाया गया था। हिंदुस्तान की संसद की आंखों में आंसू थे। भारत का हर बच्चा आंसू में डूबा था। यही है हमारी मानवता से पली-बढ़ी संस्कृति। लेकिन कुछ लोग आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
12. पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों ने मेरा आभार जताया है। दूरदराज बैठे लोग हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री का आदर करते हैं तो ये मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। मैं उन लोगों का आभार जताना चाहता हूं।